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महाशिवरात्रि 2023 शनिवार: इस साल महाशिवरात्रि पर सिंहस्‍थ जैसे प्रबंध, लगातार 44 घंटे खुले रहेंगे महाकाल मंदिर के पट

कल 17 फरवरी की रात 2:30 बजे से मंदिर के पट खोल दिए जाएँगे और यह 19 फरवरी की रात तक लगातार खुले रहेंगे

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर सिंहस्थ महापर्व जैसे इंतजाम होंगे। देश के 12 ज्योतिलिंर्गों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पट महाशिवरात्रि पर सतत 44 घंटे खुले रहेंगे। पुजारी चार प्रहर पूजा-अर्चना करेंगे। भक्तों को चारधाम मंदिर के सामने से मंदिर में प्रवेश मिलेगा। पर्व के दौरान श्री महाकाल में दर्शनार्थी महालोक में भ्रमण नहीं कर सकेंगे। इसका उपयोग केवल मंदिर पहुंच मार्ग के रूप में किया जाएगा। भीड़ प्रबंधन के तहत यह निर्णय लिया गया है।

10 लाख भक्तों के आने का अनुमान लगाकर तैयारियां की गई है

 महाकालेश्वर मंदिर में 18 फरवरी शनिवार को महाशिवरात्रि पर दूल्हा बने भगवान महाकाल के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को सुबह 4:30 बजे से प्रवेश शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए कल 17 फरवरी की रात 2:30 बजे से मंदिर के पट खोल दिए जाएँगे और यह 19 फरवरी की रात तक लगातार खुले रहेंगे। महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की तैयारियां करीब-करीब पूरी हो चुकी है पिछले वर्ष से करीब 3 गुना श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए इस बार महाशिवरात्रि पर भगवान के दर्शनों का सिलसिला 1 घंटे पहले शुरू करने का निर्णय हुआ है। इस बार करीब 10 लाख भक्तों के आने का अनुमान लगाकर तैयारियां की गई है। देश के 12 ज्योतिलिंर्गों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के पट महाशिवरात्रि पर सतत 44 घंटे खुले रहेंगे 

साल में सिर्फ एक बार दोपहर में क्यों होती है महाकाल की भस्म आरती, जानें इसका कारण

साल में सिर्फ एक दिन होता है महाशिवरात्रि जब महाकाल बाबा की भस्म आरती का समय तड़के चार बजे से बदलकर दोपहर 12 बजे की जाती है। दरअसल, महाशिवरत्रि के पर्व से पहले ही शिव विवाह की हर रश्में की शुरुआत हो जाती है और नौं दिनों तक बाबा महाकाल का अलग-अलग रूपों में श्रृंगार किया जाता है। इन श्रृंगारों का मुख्य उद्देश्य उन्हें दूल्हे के रूप में तैयार करना होता है। वहीं सभी रश्में महाकाल मंदिर में विधिवत निभाई जाती है। वहीं शिवरात्रि के दिन भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और शिवरात्रि को रात के समय भी महाकाल की पूजा व भजन किर्तन चलते हैं।

महाकाल बाबा को दूल्हे के रुप में सजाया जाता है और लाखों की संख्या में भक्त उनके बाराती बनकर आशीर्वाद प्राप्त करते है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में साल में एक ही बार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन भगवान महाकाल को महाकाल को दूल्हे के रूप में सवा क्विंटल फूलों से बने फूलों का सेहरा धारण कराया जाता है।

महाकाल बाबा को सवा मन फूलों-फलों का पुष्प मुकुट बांधकर सोने के कुण्डल, छत्र व मोरपंख, सोने के त्रिपुण्ड से सजाया जाता है। इसके बाद सेहरा दर्शन, पारणा दिवस मनाया जाता है। भगवान महाकाल के आंगन में शिव विवाह की सभी रस्मों का आयोजन किया जाता है और पूर्ण होने के बाद भस्म आरती तड़के 4 बजे के बजाए दोपहर 12 बजे की जाती है।

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मनाया जाता है शिवरात्रि महोत्सव

इस श्रृंगार का मुख्य उद्देश्य बाबा को दूल्हे के रूप में तैयार करना होता है। जिस प्रकार शादी से पहले दूल्हे को तैयार किया जाता है। उसी प्रकार कि रस्में बाबा महाकाल के साथ निभाई जाती हैं। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल को दूध, दही, घी से पंचामृत स्नान कराया जाएगा, इसके बाद चन्दन, इत्र व केसर सहित सुगन्धित द्रव्यों से लेपन किया जाता है। इसके बाद बाबा महाकाल की भस्मारती शुरू की जाती है।

21 लाख दीप प्रज्वलित होंगे

महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में महाशिवरात्रि के मौके पर दीपावली जैसा नजारा रहेगा। इस ऐतिहासिक शहर में शिवरात्रि के दिन 21 लाख दीप प्रज्वलित किए जाएंगे और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इससे पहले उज्जैन में वर्ष 2022 में महाशिवरात्रि पर 11 लाख 71 हजार 78 दीये प्रज्‍जवलित करने का विश्व रिकॉर्ड बनाया गया था। शिव ज्योति अर्पणम के तहत मोक्षदायिनी शिप्रा के विभिन्न घाटों पर 21 लाख दीप प्रज्वलित किए जाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। दीपोत्सव में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी उज्जैन आएंगे तथा 5 दीप प्रज्वलित करेंगे।

पर्व के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए प्रशासन ने किए व्यापक इंतजाम

मंदिर प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि इस बार भीड़ नियंत्रण के लिए व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। इंदौर, देवास, बड़नगर आदि क्षेत्रों से आने वाले वाहनों के लिए शहर से दूर 14 पार्किंग सब स्टेशन बनाए जा रहे हैं। यहां बसों व चार पहिया वाहन का पार्क कराया जाएगा।

श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचाने के लिए 100 नि:शुल्क बसों का इंतजाम

यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए 100 नि:शुल्क बसें चलाई जाएंगी। इन बसों में श्रद्धालु कर्क राज पार्किंग तक पहुंचेंगे। यहां जूता स्टैंड का इंतजाम रहेगा। यहां जूते-चप्पल उतारने के बाद श्रद्धालु दर्शन की कतार में लगेंगे। चारधाम, त्रिवेणी संग्रहालय, महाकाल महालोक होते हुए दर्शनार्थी मानसरोवर गेट से मंदिर में प्रवेश करेंगे। यह संपूर्ण मार्ग करीब 3 किलोमीटर का रहेगा। इसमें 3 कतार में लगाए गए बैरिकेड्स से श्रद्धालुओं का मानसरोवर गेट तक लया जाएगा। पूरे मार्ग पर छांव के लिए शामियाने लगाए गए हैं। इसके बाद कारपेट बिछाया गया है। इससे भक्तों को पैदल चलने में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी।

श्रद्धालुओं के लिए पानी की 4 लाख बोतल मंगाई

महाशिवरात्रि पर भक्तों को बोतल बंद पानी पिलाया जाएगा। मंदिर समिति 200ml. की 4 लाख पानी की बोतल खरीद रही है। दर्शन की कतार में लगे भक्तों को पेयजल वितरण के लिए सामाजिक कार्यकर्ता व कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

महाशिवरात्रि पर करें चार पहर पूजन

महाशिवरात्रि पर अगर चार पहर पूजन करते हैं तो पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से पूजन करें। हर पहर में जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए। महाशिवरात्रि पर तमाम समस्याओं से मुक्ति पाने के प्रयोग भी होते हैं। महाशिवरात्रि पर रात में किसी शिव मंदिर में दीपक जलाएं। शिव पुराण के अनुसार कुबेरदेव ने पूर्व जन्म में रात के समय शिवलिंग के पास रोशनी की थी, इसी वजह से अगले जन्म में वे देवताओं के कोषाध्यक्ष बने। इसी प्रकार से अगर आप भी शिवलिंग के पास दीया जलाएंगे तो आपको भी धन की प्राप्ति होगी।

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