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शहरी बेरोजगारी दर 5 साल में सबसे कम, इन कारणों से आई कमी

बढ़ा रोजगार का स्तर- जानें सर्वे का नतीजा

देश में आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं, उसका असर सीधे-सीधे बेरोजगारी दर पर भी पड़ रहा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने सोमवार को शहरी बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जारी किए, ये जनवरी-मार्च तिमाही में 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। आवधिक श्रम शक्ति सर्वे के लिए जुटाए गए data के आधार पर NSO ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में शहरी बेरोजगारी दर 6.8 प्रतिशत रही है। ये बीते 5 साल में शहरी बेरोजगारी दर का सबसे निचला स्तर है। 

8.2 फीसदी से घटकर 6.8 फीसदी पर आई बेरोजगारी दर

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन कार्यालय (National Sample Survey organisation (NSSO)) के आंकड़ों के अनुसार एक साल पहले इसी तिमाही में यह 8.2 फीसदी थी। जनवरी-मार्च तिमाही में बेरोजगारी दर में कमी इस प्रकार देश के शहरों में बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च में 2018-19 में इस सर्वेक्षण के अस्तित्व में आने के बाद सबसे कम रही है। 

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शहरों में बढ़े रोजगार, 5 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंची बेरोजगारी दर

भारत में शहरी बेरोजगारी में कमी आई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने सोमवार को जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके हिसाब से जनवरी-मार्च तिमाही में ये 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। 

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बेरोजगारी दर निचले स्तर पर आई

आंकड़े बताते हैं कि जनवरी-मार्च तिमाही सिर्फ इकलौती तिमाही नहीं है जब बेरोजगारी दर इतने निचले स्तर पर आई है। बल्कि वित्त वर्ष 2022-23 की चारों तिमाही में भी ये सबसे अच्छी तिमाही रही है।  इस सर्वे में एक और बात सामने आई है कि बेरोजगारी दर के नीचे आने की वजह ये नहीं कि मार्केट में नौकरी की डिमांड घटी है, बल्कि इसकी वजह रोजगार की उपलब्धता बढ़ना है। 

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हर 100 में से 38 को चाहिए रोजगार

जॉब मार्केट में नौकरी की खोज में रहने वाले लोगों को लेबर फोर्स पार्टसिपिटेशन रेट (एलएफपीआर) से मापा जाता है।  वित्त वर्ष 2022-23 की सभी तिमाहियों में ये 5 साल में सबसे अधिक रही है।  यानी शहरी जॉब मार्केट में रोजगार ढूंढ रहे लोगों की संख्या या कहें कि जॉब की डिमांड बढ़ी है। जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में एलएफपीआर 38.1 प्रतिशत रहा है। 

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 इन कारणों से आई कमी

  • शुरुआती स्तर की नौकरियों में तेजी से वृद्धि हुई।
  •  स्टार्टअप और फिनटेक का छोटे शहरों तक विस्तार।
  • घर से काम करने की छूट से महिलाएं आगे आ रहीं।
  • ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी योजनाओं का तेज प्रसार।

महिला रोजगार भी बढ़े

आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्रों में महिलाओं में बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2023 में घटकर 9.2% पर आ गई, जो एक साल पहले 10.1% थी। वहीं, पुरुषों में यह दर इस साल पहली तिमाही में कम होकर 6% रही, जो एक साल 7.7% थी।

श्रम बल दर में बढ़ोत्तरी 

नौकरियों में यह सकारात्मक रुझान श्रम बल भागीदारी दर बढ़ने की वजह से आया है। सभी तिमाहियों के लिए 2022-23 में यह दर सबसे अधिक रही। इसका मतलब यह है कि 2022-23 में भारत की शहरी आबादी ने रिकॉर्ड अनुपात में नौकरी मांगी और उन्हें रोजगार मिला।

दर के नीचे आने को अच्छे संकेत के रूप में देखते हैं। देश में बेरोजगारी दर के आंकड़े मुख्य तौर पर पढ़ी-लिखी युवा आबादी के रोजगार पाने की स्थिति से तय होता है। ऐसे में बेरोजगारी दर नीचे आना बढ़िया है। 


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