Chintaman Ganesh : चिंतामण गणेश जहाँ होती है हर मनोकामना पूरी
मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित भगवान गणेश को समर्पित चिंतामन गणेश Chintaman Ganesh मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में विराजमान भगवान गणेश की मूर्ति स्वयंभू है।
यहां भगवान गणेश को चिंताहरण या चिंतामन गणेश Chintaman Ganesh के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भगवान गणेश चिंतामणि के रूप में मनुष्य को सांसारिक चिंताओं से मुक्ति दिलाते हैं।
यह भी पढ़ें – khajrana ganesh temple : खजराना गणेश मंदिर का इतिहास
इस मंदिर में भगवान Chintaman Ganesh चिंतामण गणेश की पत्नी ऋद्धि और सिद्धि को भगवान गणेश की मूर्ति के दोनों ओर रखा गया है। मंदिर को पत्थरों से बनाया गया है, जिसमें लगे नक्काशीदार खंभे परमार काल यानी 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच के हैं।
चिंतामन गणेश Chintaman Ganesh मंदिर में भगवान श्री गणेश के तीन रूप एक साथ विराजमान हैं। भगवान गणेश यहां चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक के रूप में विराजमान हैं।
यह भी पढ़िए – Ganeshotsav कैसे शुरू हुई थी गणेशोत्सव की परंपरा
चिंतामण गणेश Chintaman Ganesh मंदिर का इतिहास
स्वयंभू स्थली के नाम से प्रसिद्ध चिंतामन गणपति Chintaman Ganesh की स्थापना को लेकर कई कहानियां प्रचलित है। माना जाता है कि राजा दशरथ के उज्जैन में पिंडदान के दौरान भगवान श्री रामचन्द्र जी ने यहां आकर पूजा अर्चना की थी।
कहते हैं, सतयुग में श्री राम, लक्ष्मण और सीता मां वनवास पर थे। वे घूमते-घूमते यहां पहुंचे थे। यहां आकर सीता मां को बहुत तेज प्यास लगी। जिसके बाद लक्ष्मण जी ने तीर चलाया था, जिससे यहां एक बावड़ी बन गई थी। माता सीता ने इसी जल से अपना उपवास खोला था। इसके बाद भगवान श्रीराम सीता माता और लक्ष्मण ने यहां चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक की स्थापना की और फिर भगवान चिंतामण गणेश Chintaman Ganesh की पूजा की थी।
यह भी पढ़िए – vakrtunda वक्रतुण्ड से कैसे मिला मत्सरासुर को क्षमादान ?
लक्ष्मण बावड़ी का इतिहास
मंदिर के सामने ही आज भी वह बावड़ी मौजूद है, जिसे लक्ष्मण बावड़ी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का वर्तमान स्वरूप महारानी अहिल्याबाई द्वारा करीब 250 साल पहले बनाया गया था।
हालांकि, इससे पहले इस मंदिर का परमार काल में जीर्णोद्धार हो चुका था। यह मंदिर आज जिन खंभों पर टिका हुआ है, वह परमार काल में ही बनाया गया था। यह परमार काल का इकलौता मंदिर है।
इस चिंतामन गणेश Chintaman Ganesh मंदिर को लेकर एक मान्यता है कि यहां गणेश जी के दर्शन कर मंदिर के पीछे उल्टा स्वास्तिक बनाकर मनोकामना मांगने पर वो पूरा हो जाता है। बाद में मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त को पुनः दर्शन के लिए आना होता है और मंदिर के पीछे फिर से सीधा स्वास्तिक बनाना होता है यही मान्यता खजराना गणेश मंदिर इंदौर में भी देखने को मिलती है ।
चिंतामन गणेश Chintaman Ganesh मंदिर से जुड़ी मान्यताएं
उज्जैन के मालवा क्षेत्र में सैंकड़ों वर्षों से एक परंपरा चली आ रही परंपरा के मुताबिक इस क्षेत्र में जो शादी करता है, उसके परिजन यहां लग्न लिखवाने आते हैं और शादी के बाद नव विवाहित पति-पत्नी दोनों यहां आकर भगवान चिंतामन गणेश के दर्शन करते हैं और लग्न पत्रिका को चिंतामण जी के चरणों में छोड़कर जाते हैं।
एक और मान्यता है कि इस पूरे क्षेत्र में किसी भी धार्मिक आयोजन, शुभ कार्य, विवाह इत्यादि का प्रथम निमंत्रण भगवान चिंतामन गणेश जी को ही दिया जाता है।
यह भी पढ़िए – Santan saptmi : जानिए संतान सप्तमी की व्रत कथा, और पूजन विधि
कैसे पहुंचे चिंतामन गणेश मंदिर?
उज्जैन मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक है, जो सड़क और रेल मार्ग से भारत के कई बड़े शहरों से सीधे जुड़ा है।
उज्जैन के लिए मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से सरकारी और निजी बसें चलती है।
सबसे निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इंदौर में स्थित है। जहां के लिए बहुत सारी उड़ानें हैं।
इंदौर हवाई अड्डा के लिए दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता आदि शहरों से बहुत सारी सीधी उड़ानें है।
इंदौर यहां से करीब 60 किलोमीटर दूर है। उज्जैन रेल द्वारा भी देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
इंदौर रेलवे स्टेशन और मंदिर के बीच की दूरी महज 8 किमी है
One Comment