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ganesh visarjan : गणेश विसर्जन की पौराणिक कथा और विसर्जन की विधि

गणेश विसर्जन ganesh visarjan के साथ ही दस दिवसीय गणेश चतुर्थी के पर्व का समापन हो जाएगा और भगवान् गणपति अपने घर को लौट जाएंगे यह त्यौहार पूरे देश में भक्ति और उमंग की एक लहर अपने साथ लेकर आता है।

गणेश विसर्जन ganesh visarjan की पौराणिक कथा और विसर्जन के विधि-विधान की पूरी जानकरी आपको इस पोस्ट में मिल जाएगी |

जिस तरह गणेश उत्सव की शुरुआत में भक्त आस्था एवं प्रेम के साथ भगवान गणेश जी का स्वागत अपने घरों में करते हैं और 10 दिनों के पश्चात् अपने प्यारे गणपति बप्पा को जल में विसर्जित कर देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 10 दिनों के बाद भगवान को जल में विसर्जित क्यों कर दिया जाता है? आज इस प्रश्न के उत्तर के रूप में हम आपके लिए एक पौराणिक कथा ganesh visarjan लेकर आए हैं।

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क्यों किया जाता है दस दिनों में विसर्जन ?

ग्रंथों में वर्णित एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में वेदव्यास जी ने भगवान गणेश जी को महाभारत की कथा सुनाई थी, जिसे स्वयं भगवान गणेश जी ने लिखा था। वेद व्यास जी ने गणेश चतुर्थी के दिन कथा सुनाना शुरू किया था और उन्होंने अपनी आंखें बंद करके लगातार 10 दिनों तक उस कथा का वाचन किया था।

10 दिनों के पश्चात् जब कथा का अंत हुआ तब उन्होंने अपने नेत्र खोले। आंखें खुलने के बाद उन्होंने देखा कि इतने दिनों तक लगातार कथा सुनकर लिखने की वजह से भगवान गणेश जी के शरीर का तापमान काफी अधिक बढ़ गया था।

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यह देखते ही वेदव्यास जी भगवान गणेश को पास में स्थित एक झील के पास ले गए। वहां उन्होंने गणपति जी के शरीर को शीतल करने के लिए झील के जल का प्रयोग किया। उस दिन अनंत चतुर्दशी का दिन था और तभी से इस दिन पर भगवान गणेश जी को शीतल यानि विसर्जन ganesh visarjan करने की परंपरा का आरंभ हुआ था।

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मान्यता यह भी है कि वेद व्यास जी ने भगवान गणेश जी के तापमान को बढ़ने से रोकने के लिए उनके शरीर पर सौंधी मिट्टी का लेप लगा दिया गया था। लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ, भगवान गणेश जी के शरीर का तापमान काफी बढ़ गया और पूरी मिट्टी सूख गई। यह देखते हुए, वेदव्यास जी गणेश जी को एक नदी के पास ले गए ताकि मिट्टी को हटाया जा सके और शरीर को शीतल किया जा सके। इस प्रकार भगवान गणपति जी के विसर्जन ganesh visarjan की प्रथा शुरू हुई।

कथाओं के अलावा भगवान गणेश जी को विसर्जित ganesh visarjan करना इस बात का प्रतीक है कि हमारा शरीर मिट्टी से बना है और अंत में उसी में विलीन हो जाएगा। जल का संबंध ज्ञान और बुद्धि से भी माना गया है जिसके कारक स्वयं भगवान गणेश हैं। जल में विसर्जित होकर भगवान गणेश साकार से निराकार रूप में घुल जाते हैं।

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जल में गणेश विसर्जन ganesh visarjan से यह माना जाता है कि जल में घुलकर परमात्मा अपने मूल स्वरूप से मिल जाएं। यह परमात्मा के एकाकार होने का प्रतीक भी है। भगवान गणेश जी को विसर्जित करने के पीछे कई सारे कारण और तर्क हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है इस प्रथा के निहित लोगों की असीम आस्था।

यह इस पर्व की खूबसूरती है कि हर प्रकार के लोग इसमें सम्मिलित होते हैं और पूरे उत्साह से भगवान श्रीगणेश को विसर्जित ganesh visarjan करते हैं। साथ ही लोग अपने आराध्य से अगले साल फिर से आने की गुहार लगाते हैं।

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आईए जानते हैं गणेश विसर्जन की पूरी विधि

गणेशोत्सव में गणेश जी को घर पर स्थापित करने के बाद पूरे विधि-विधान से उनकी प्रतिमा को विसर्जित ganesh visarjan करना अत्यंत आवश्यक है। आज हम उन सभी भक्तों के लिए भगवान गणेश विसर्जन ganesh visarjan की विधि लेकर आए हैं तो चलिए जानते हैं कि किस प्रकार किया जाता है गणेश विसर्जन ganesh visarjan की विधि और इसमें भक्तों को किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए : –

गणेश चतुर्थी पर लोग बड़े ही धूमधाम से बप्पा जी को घर पर स्थापित करते हैं। इसके बाद 1, 3, 5, 5, 7, 9 या फिर 10 दिनों तक विधि-विधान से उनकी स्तुति एवं पूजन करने के बाद सम्मान पूर्वक भगवान जी का विसर्जन ganesh visarjan कर देते हैं।

विसर्जन ganesh visarjan के दिन सबसे पहले पूजा का उद्यापन विधिपूर्वक शास्त्रोक्त मंत्रों से करना चाहिए।

घर में गणेशोत्सव के दौरान लाई गई मू्र्ति के साथ, घर के मंदिर में पहले से स्थापित गणपति जी की मूर्ति भी रखी जाती है।

गणेश विसर्जन ganesh visarjan के समय इस बात का ध्यान रखें कि घर के मंदिर में पहले से स्थापित मूर्ति को यथा स्थान रखा जाता है। भगवान जी को मंदिर में पुनः स्थापित करते समय यह प्रार्थना की जाती है कि, हे प्रभु अब आप ऋद्धि-सिद्धि के साथ मंदिर में स्थिर हो जाइए।

मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाने से पहले हाथ में अक्षत लेकर प्रार्थना की जाती है कि गणपति बप्पा, आप अगले साल फिर से जल्दी आना। इसके पश्चात् अक्षत को भगवान जी की प्रतिमा पर छिड़क दिया जाता है।

घर से निकलते वक्त बप्पा जी को एक पोटली में दही-पोहे बांधकर दिया जाता है। इसके पीछ की मान्यता यह है कि गणपति जी लंबी यात्रा पर जा रहे हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि हम उनकी भूख का प्रबंध करें।

अब पूरे धूम-धाम से भगवान की प्रतिमा को विसर्जन स्थल तक ले जाया जाता है।

विसर्जन स्थल पर उनकी प्रतिमा को रख दिया जाता है और उन्हें नैवेद्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद उनकी आरती उतारी जाती है।

आरती उतारने के बाद उनकी प्रतिमा को जल में ले जाया जाता है। गणेश विसर्जन ganesh visarjan से पहले भगवान जी की प्रतिमा को 5 बार डुबकी लगवाई जाती है और फिर अंततः जल में विसर्जित कर दिया जाता है।

विसर्जन से बाद नदी या जलाशय के किनारे मिट्टी को घर वापिस लाया जाता है।

घर वापिस आते वक्त अन्य भक्तों में प्रसाद वितरित किया जाता है।

इस प्रकार गणपति जी का आदर सत्कार करने के बाद उन्हें जल में विसर्जन ganesh visarjan किया जाता है। भगवान जी के विसर्जन पर कई भक्त भावुक भी हो जाते हैं और साथ में इस बात की कामना करते हैं कि गणपति जी अगले साल फिर से उनके घर पर पधारें।

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