इंदौरप्रदेश

indore : burnt alive by pouring petrol जिंदगी की जंग हारी विमुक्ता शर्मा

80 से 90 प्रतिशत जलने के बाद भी पांच दिनों तक जिंदगी के लिए संघर्ष कर रही प्राचार्या विमुक्ता शर्मा ने (burnt alive by pouring petrol) आज सुबह इलाज के दौरान चोइथराम अस्पताल में दम तोड़ दिया।

कहने में भी शर्म आती है कि एक छात्र ने ही उन्हें जिंदा burnt alive by pouring petrol से जलाया था।

 

burnt alive by pouring petrol

प्राचार्या विमुक्ता तो दुनिया से चली गई, लेकिन पीछे कई सवाल छोड़ गई। विमुक्ता की मौत सिस्टम पर बड़ा सवाल है। उन बच्चों की परवरिश पर बड़ा सवाल है, जिन्हें बाहर खुला छोड़ दिया जाता है। उनकी मौत ने सवाल खड़े किए है, उन अनगिनत शिक्षकों की सुरक्षा पर जो अपने बच्चों को घर पर छोड़कर, दूसरे बच्चों का भविष्य संवारने आते है और बदले में उन्हें क्या मिलता है ऐसी खौफनाक सजा।

burnt alive by pouring petrol का सार

– 20 फरवरी की सिमरोल के बीएम कॉलेज की घटना

– आरोपी पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव ने प्राचार्या विमुक्ता को जलाया था जिंदा

CREATIVE FILMS INDORE PHOTOGRAPHY

– प्राचार्या पर पेट्रोल डालकर आशुतोष श्रीवास्तव ने लगाई थी आग

– आग लगने से 80 से 90 प्रतिशत तक झुलस चुकी थी विमुक्ता शर्मा

– पांच दिन के संघर्ष के बाद आज सुबह विमुक्ता ने तोड़ा दम

– पूछताछ में हुआ खुलासा मार्कशीट नहीं देने से नाराज था आरोपी

burnt alive by pouring petrol कौन है आशुतोष ?

जिंदगी के लिए मौत से लड़ाई लड़ते वक्त प्राचार्या (burnt alive by pouring petrol) विमुक्ता के मन में अपने परिवार और बच्चों के लिए कई तरह की चिंताएं होगी, वो जीना चाहती थी, लेकिन शायद मंजूर नहीं था। उधर परिवार वाले भी विमुक्ता की ऐसी हालत देख सदमें में ही थे। विमुक्ता और परिजनों के साथ-साथ हर कोई आरोपी आशुतोष श्रीवास्तव को सजा दिलाने के लिए एकजुट हो गया।

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burnt alive by pouring petrol : आरोपी को फांसी देने की मांग

विमुक्ता को इंसाफ दिलाने के लिए पूरे शहर में प्रदर्शन हुए और शिक्षकों की ओर से सुरक्षा को लेकर तरह तरह की मांगें उठने लगी। गुरू का अपमान करने वाले ऐसे नाकारा निकम्मे छात्र और धमकियों को गंभीरता से नहीं लेने वाले भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ सजा की मांग उठने लगी। विमुक्ता की मौत (burnt alive by pouring petrol) को विपक्ष ने मुद्दा बनाया। प्रदेश सरकार पर प्राचार्या के हत्याकांड की जिम्मेदारी लेने के दबाव बनने लगे।

प्राचार्या के बेहतर स्वास्थ के लिए उनकी दुआओं में लाखों हाथ उठने लगे। जब महापौर पुष्यमित्र भार्गव उनकी मां उत्फुल्ल प्रभा तिवारी से मिलने गए थे तक उनकी मां फफक कर रो पड़ीं थी। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी हीरा थी, तब महापौर ने उन्हें आश्वस्त किया था कि न्याय दिलाने के लिए हम सब लड़ेंगे। इस मामले में आरोपी के साथ-साथ विमुक्ता की मौत (burnt alive by pouring petrol) के हर जिम्मेदार पर कार्रवाई हो जाएगी। विमुक्ता की मौत के बाद अब सब कुछ हो जाएगा, लेकिन विमुक्ता वापस नहीं आएगी।

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एक सिरफिरे आरोपी की हरकतों की सजा एक गुरू को मिली। (burnt alive by pouring petrol) जिम्मेदार आरोपी द्वारा दी गई धमकियों से सम्बंधी आवेदनों को सरकारी फाइलों में दबाकर चुपचाप सोते रहे, उधर आरोपी उसका काम कर गया। नागदा में बैठे आरोपी आशुतोष श्रीवास्तव के माता पिता के मन में इतना भी ख्याल नहीं आया कि उनका बेटा मन में इतना बड़ा अपराध करने की योजना बना रहा है।

अब भले ही आरोपी पर रासुका की कार्रवाई कर दी गई हो, जिम्मेदार पुलिसकर्मी पर कार्रवाई कर दी गई हो लेकिन इस मामले में जितना दोषी आरोपी है उतना ही सिस्टम भी। एक साल पहले विमुक्ता (burnt alive by pouring petrol) ने आवेदन दिया था, जिसमें उन्होंने उनकी जान का खतरा होने का जिक्र किया था। एक साल से आरोपी प्राचार्या की जान लेने की योजना बना रहा था, लेकिन जिम्मेदारों के कान पर जू तक नहीं रेंगी। एक साल बाद आरोपी ने इतने जघन्य अग्निकांड को अंजाम दिया।

मामले में एक एएसआई को सस्पेंड कर दिया गया हो, लेकिन सवाल यह भी है कि क्यों थाने में दिए गए आवेदन को पुलिस ने लेकर रख लिया और कार्रवाई नहीं की। इस केस में पुलिस की भूमिका की भी जांच होना चाहिए। उधर विमुक्ता शर्मा (burnt alive by pouring petrol)  के परिवार का भी आरोप है कि उन्होंने छात्र से परेशान होकर तीन से चार बार सिमरोल थाने में शिकायत की थी। पुलिस ने आरोपी छात्र पर तब एफआईआर दर्ज की, जब उसने कॉलेज में चाकू से हमला किया था। यदि पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो कॉलेज में आरोपी छात्र आशुतोष श्रीवास्तव न तो चाकू चला पाता और ना ही यह हादसा होता।

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प्राचार्या को जिंदा जलाने की (burnt alive by pouring petrol)  यह घटना छोटी नहीं है। गुरू शिष्य की परंपरा को तार-तार करने वाली यह घटना आरोपी की मानसिक विक्षिप्तता का बखान करती है। साइको होने और इसके खिलाफ शिकायती आवेदन देने पर भी यह खुलेआम घुमता रहा, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसका परिणाम यह हुआ कि आज विमुक्ता हमारे बीच नहीं रही। यह मामला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें सिस्टम भी बराबर जिम्मेदार है।

आरोपी आशुतोष श्रीवास्तव ने प्राचार्या विमुक्ता (burnt alive by pouring petrol) को धमकी भरे कई मैसेज किए थे, हालांकि पुलिस ने इस बात से इनकार किया है। आरोपी आशुतोष गुस्सैल प्रवृत्ति का है। मामले में कॉलेज प्राचार्या की 14 फरवरी 2022 यानी एक साल पहले लिखी एक चिट़ठी सामने आई है जो सिमरोल पुलिस को भेजी गई थी। इसमें कहा था कि छात्र आशुतोष श्रीवास्तव का रिजल्ट ठीक नहीं रहा है। इसके चलते वह कॉलेज आया था और आत्महत्या करने के पत्र के साथ रस्सी लाया था, लेकिन जिम्मेदारों ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया।

बताया जा रहा है कि जब प्राचार्या विमुक्ता को आग के हवाले (burnt alive by pouring petrol) किया था उस वक्त कैम्पस में कोई नहीं था और वो बिल्व पत्र लेने के लिए आई थी। इसी दौरान आरोपी आशुतोष ने उन पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी। अग लगाए जाने के बाद प्रिंसिपल उसी हालत में कैंपस में भागती रहीं और मदद मांगती रहीं, लेकिन आसपास कोई नहीं था। इसी देरी के कारण आग पूरे कपड़ों में फैल गई और उनकी हालत गंभीर हो गई।

पुलिस की गिरफ्त में आए आशुतोष से जब पुलिस ने आग लगाने का कारण (burnt alive by pouring petrol) पूछा तो उसने बताया कि उसने कॉलेज से पढ़ाई की थी। वह सातवें सेमेस्टर में फेल हो गया था। इसके बाद सातवें और आठवे सेमेस्टर की परीक्षा साथ में दी थी।

परीक्षा का रिजल्ट जुलाई 2022 में ही आ गया था, लेकिन बार-बार कॉलेज आने के बाद भी मार्कशीट नहीं दी जा रही थी, इसी बात से गुस्सा होकर घटना को (burnt alive by pouring petrol)  अंजाम दिया। वहीं महाविद्यालय प्रबंधन पूर्व छात्र के इस दावे को गलत बता रहा है। प्रबंधन के अनुसार कई बार जानकारी देने के बाद भी अपना अंकपत्र लेने यह पूर्व छात्र आशुतोष श्रीवास्तव महाविद्यालय नहीं आया।

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प्राचार्या विमुक्ता शर्मा के निधन से (burnt alive by pouring petrol)  सभी आहत है और पूरे शहर में शोक की लहर व्याप्त है। जिनकी सलामती की दुआओं में दिन रात लोगों के हाथ उठ रहे थे, उस बच्चों के शिल्पकार का साया अब उठ चुका है। विमुक्ता की मौत के जिम्मेदार एक एक शख्स पर कार्रवाई होने की तमाम संगठनों की ओर से मांग उठ रही है।

कारण कुछ भी हो लेकिन एक गुरू के प्रति छात्र की ऐसी भावना (burnt alive by pouring petrol)  मानसिक दिवालियापन की निशानी है। बहरहाल अब देखना होगा कि इस हत्याकांड से जिम्मेदार क्या सीख लेते है और शिक्षकों व प्राचार्यो की शिकायतों को जिम्मेदार कितनी गंभीरता से लेते है।

 

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