धर्म

khajrana ganesh temple : खजराना गणेश मंदिर का इतिहास

एकदन्त, लम्बोदर, विघ्ननाशक, विनायक, विघ्नराज, गजानन जैसे कई नामों से पुकारे जाने वाले प्रथम आराध्य देव गणेश की महिमा अपरम्पार है। लम्बोदर कई रूपों में भारत की पावन भूमि पर विराजमान हैं। इन्हीं में से एक रूप में विनायक मध्य प्रदेश के इंदौर के मध्य खजराना क्षेत्र में खजराना गणेश मंदिर (khajrana ganesh temple) विराजमान हैं।

खजराना में विराजमान भगवान खजराना गणेश मंदिर (khajrana ganesh temple) और उनकी मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। कहते हैं, यहां गणपति बप्पा अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं और इसके लिए भक्त को बस उनकी प्रतिमा की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाना होता है।

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खजराना गणेश मंदिर का इतिहास

खजराना गणेश मंदिर (khajrana ganesh temple) भारत का दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की नगरी इंदौर में स्थित है। भगवान गणेश को समर्पित खजराना मंदिर न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त किये हुए है। इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन महारानी अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा सन 1735 में कराया गया था।

खजराना गणेश मंदिर (khajrana ganesh temple) में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा को स्वयंभू कहा गया है, यानी भगवान गणेश की प्रतिमा यहां स्वयं प्रकट हुई है।

कहते हैं कि औरंगजेब से भगवान गणेश की मूर्ति की रक्षा करने के लिए लोगों ने मूर्ति को एक कुएं में छिपा दिया था। कुछ समय बाद जब औरंगजेब का आतंक खत्म हो गया, लेकिन लोग मंदिर से मूर्ति को निकालना भूल गए।

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जिसके बाद भगवान खजराना गणेश मंदिर (khajrana ganesh temple) ने एक स्थानीय पंडित श्री मंगल भट्ट को स्वप्न में आकर अपनी प्रतिमा के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद मंगल भट्ट ने इसके बारे में महारानी अहिल्याबाई होल्कर को बताया। पंडित की बात को गंभीरता से लेते हुए महारानी अहिल्याबाई ने उनकी बताई जगह पर खुदाई कराई, जहां से पंडित जी के बताए अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमा प्रकट हुई।

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ऐसे हुई भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना

महारानी अहिल्या बाई भगवान शिव की भक्त थी। ऐसे में गणपति बाप्पा की मूर्ति पाकर वो बहुत प्रसन्न हुईं और वो राजवाड़ा में मूर्ति की स्थापना कराना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने सैकड़ों मजदूरों को प्रतिमा को खजराना से राजवाड़ा लाने का आदेश दिया, परंतु सैकड़ों मजदूर मिलकर भी मूर्ति को एक इंच भी हिला नहीं सके।

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जिसके बाद श्री भट्ट ने महारानी से गणेश जी के स्वप्न में दिए हुए आदेशानुसार प्रतिमा को खजराना में ही स्थापित करवाने का आग्रह किया। महारानी ने पंडित की बात मानते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा को उसी जगह स्थापित करवा दी, जो आज खजराना के खजराना गणेश मंदिर (khajrana ganesh temple) के नाम से प्रसिद्ध है।

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मंदिर में मौजूद हैं कई मूर्तियां

खजराना गणेश मंदिर में मुख्य मूर्ति भगवान गणपति जी की है। जो सिन्दूर से आच्छादित  है। इसके अलावा मंदिर परिसर में 33 और देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित है। इनमें भगवान शिव, मां दुर्गा, श्री राम, हनुमान जी और साईं बाबा की मूर्ति शामिल है। परिसर में एक अत्यंत प्राचीन पीपल का पेड़ भी है, जिससे जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित है।

इस खजराना गणेश मंदिर (khajrana ganesh temple) को लेकर मान्यता है कि मंदिर में आकर तीन परिक्रमा लगाने और दीवार पर मन्नत का धागा बांधने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मन्नत पूरी हो जाने के बाद भक्त को वापस आकर धागा खोलना होता है।

मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने की भी मान्यता है। कहते हैं, जो भी भक्त भगवान गणेश जी की पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाकर मन्नत मांगता है, उसकी मन्नत पूरी होती है। इसे लेकर भी कहा जाता है कि मनोकामना पूर्ति के बाद भक्त वापस मंदिर में जाकर उल्टा स्वास्तिक को सीधा बनाना होता है।

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कैसे पहुंचे खजराना गणेश मंदिर?

इंदौर मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में से एक है, जो सड़क रेल और हवाई मार्ग से भारत के तमाम बड़े शहरों से सीधे जुड़ा है।

इंदौर के लिए भोपाल, लखनऊ, नई दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे प्रमुख शहरों से सरकारी और निजी बसें चलती है।

सबसे निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जहां के लिए बहुत सारी उड़ानें हैं। इंदौर हवाई अड्डा के लिए दिल्ली, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता आदि शहरों से बहुत सारी सीधी उड़ानें है।

इंदौर रेल द्वारा भी देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप इंदौर रेलवे स्टेशन के लिए सीधी ट्रेन पकड़ सकते हैं। इंदौर रेलवे स्टेशन और मंदिर के बीच की दूरी महज 5 किमी है।

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