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World Vada Pav Day : विश्व वडापाव दिवस आज, क्या आपने भी किया है टेस्ट

आज भारत में खासकर महाराष्ट्र में विश्व वड़ापाव दिवस (World Vada Pav Day)मनाया जा रहा है। यह हर साल 23 अगस्त को मनाया जाता है। वड़ापाव दिवस की शुरुआत सन् 1966 में दादर के अशोक वैद्य द्वारा की गई थी, इसी साल दादर रेलवे स्टेशन के बाहर ‘पहला वड़ा पाव स्टॉल’ शुरू होने की कहानियां मुम्बई में सुनी और सुनाई जाती है।

वडा पाव को ही बर्गर का ही भारतीय संस्करण माना जाता है, जिसमें पाव यानी बन के बीच में वड़ा रखकर लाल चटनी या कहीं-कहीं तली हुई हरी मिर्च के साथ सर्व किया जाता है।

वड़ापाव को ‘भारतीय बर्गर’ में तब्दील करने की शुरुआत 23 अगस्त 2001 को धीरज गुप्ता की थी, जो कि ‘जंबो वड़ापाव फूड चेन’ चलाते हैं और मुम्बई सहित कई शहरों में मौजूद शाखाएं विश्व वड़ापाव दिवस (World Vada Pav Day) मनाती हैं।

मुम्बाईकर लोगों के खाने के मामले में अग्रणी ‘वड़ापाव’ वास्तव में एक आम भोजन है, अपने शुरुआती दिनों में वडापाव ने मुंबई के मिल मजदूरों की संस्कृति में अपनी जड़ें जमा ली थी मुंबई में आज भी रोजाना लाखों की तादात में वड़ापाव खाया और खिलाया जाता है। इतना ही नहीं वड़ापाव सिर्फ भारत में ही नहीं विदेशों में भी काफी फेमस हो चुका है ।

दरअसल मुम्बई के मिल मज़दूर अकसर समय अभाव के कारण ज्यादातर समय काम से घर लौटते समय भोजन बनाने में लेट हो जाते थे तब उन्हें रास्ते में ही बड़ा पाव जैसा सस्ता भोजन मिलने लगा जिससे बहुत जल्द यह अधिकतर मुंबईकरों का एक समय के भोजन का विकल्प बन गया।

गरीब से लेकर बड़ी बड़ी शख्सियत के बीच लोकप्रिय इस बड़े पाव को तात्कालिक शिवसेना दल ने भी बढ़ावा दिया ताकि दक्षिण भारत के व्यंजन मुंबई में अपनी बिक्री बढ़ा ना सकें।

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मुंबई में बड़ा पाव के शुरुआत का एक कारण यह भी था की आलू एवम् पाव दोनो ही पुर्तगाली ही भारत में लाए थे और मुंबई एक पुर्तगाली उपनिवेश था  जहां वे लोग आलू और पाव का उपयोग अपने भोजन में करते थे ।

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